जीवन का यह अजीब खेल है कि आज से लगभग ४० साल पहले मैंने जहाँ से जीवन शुरू किया था आज वहीं लौट कर गया था इस दौरान मैं पता नहीं ज़िन्दगी के कितने पड़ाव देख चूका पर आज श्री ललित सुरजन के सामने बैठकर कुछ ऐसा लग रहा था कि जैसे यह अन्तराल कितना छोटा था
Tuesday 11 October 2011
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